नयी दिल्ली : प्रतिदिन रुपए के गिरते स्तर पर भाजपा के दिग्गज सांसद ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ निशाना साधते हुए सरकार के खिलाफ हमला बोला. उन्होंने रुपये के हर रोज गिरते स्तर को लेकर एक लेख लिखकर भाजपा सरकार के खिलाफ सवाल खड़े किए हैं. युवा सांसद वरुण गांधी ने लिखा है कि एक समय ऐसा था भारतीय रुपये की ऐसी धाक थी कि दुनिया के कई देशों में चलती थी, लेकिन आज भारतीय करेंसी पिटती दिख रही है. ऐसा ही चला तो देश ही हालत बद से बत्तर हो जाएगी।
उन्होंने लिखा है कि एक ऐसा दौर था जब भारतीय रुपया बहुपक्षीय मुद्रा था. जावा, बोर्नियो, मकाऊ, मस्कट, बसरा, जंजीबार जैसे देशों में भारतीय रुपये का इस्तेमाल होता था. ओमान 1970 तक रुपये का इस्तेमाल करता था.
वरुण गांधी ने लिखा है कि इधर काफी समय से तेल के ऊंचे भाव और शेयर बॉन्डो से संस्थागत विदेशी निवेशकों के निकलने के चलते रुपये की कीमत गिर रही है. ऐसे उतार चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन रुपये की गिरती कीमत का मतलब है ज्यादा आयात का बोझ, जिससे मुद्रा संकट बढ़ता है.
उन्होंने लिखा है कि रुपये में काले धन का लेन-देन को खत्म करके भारतीय अर्थव्यवस्था के औपचारिक क्षेत्र को मजबूती देना जरूरी होता है. भारत को काले धन के खिलाफ चार बिंदुओं पर विचार करना होगा. टैक्स रेट को तर्कसंगत बनाना, कमजोर क्षेत्र सुधारना, कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और कर चोरी निवारण के उपाय करना.
रोहिंग्या मुसलमानों पर मोदी सरकार की राय से अलग वरुण ने कहा था, वह चाहते हैं कि रोहिंग्या मुसलमानों को शरण दी जाए. म्यांमार में अत्याचार से परेशान होकर बांग्लादेश भारत पहुंच रहे इन रोहिंग्या मुसलमानों को भारत सरकार ने खतरा बताते हुए शरण देने से मना कर दिया था.
वरुण ने इससे पहले केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा वन विभाग की जमीनों को दूसरे उद्देश्य से देने पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा कि वन विभाग की जमीन को दूसरे उद्देश्य के लिए देना ठीक नहीं है. वन विभाग ऐसे ही जमीन देता रहा तो फिर आखिरकार हम सांस के लिए शुद्ध हवा कहां से लाएंगे. जबकि हम पहले से ही दमघोंटू माहौल में रह रहे हैं.