नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के मामले में सोमवार से सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई एकबार फिर टल गई है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले दोनों पक्षों की ओर से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं। जहां एक ओर अयोध्या मामले में पक्षकार इकबाल अंसारी का कहना है कि हम चाहते हैं कि अब फैसला होना चाहिए क्योंकि मसला लंबा हो गया है केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने सुनवाई से पहले कहा कि अब हिंदुओं का सब्र टूट रहा है। मुझे भय है कि हिंदुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा।
ऐसा पहली बार नहीं है उन्होंने विवादित बयान नहीं दिया हो। इससे पहले हाल ही में उन्होंने कहा था, भारत के मुसलमान प्रभु राम के वंशज हैं। वे मुगलों के वंशज नहीं हैं। इसलिए वे राम मंदिर का विरोध न करें और जो राम मंदिर का विरोध कर रहे हैं, वे भी समर्थन में आ जाएं, वरना उनसे हिंदू नाराज हो जाएंगे। मुस्लिमों से नफरत करने लगेंगे और अगर ‘ये नफरत ज्वाला में बदल गई तो मुस्लिम सोचें फिर क्या होगा।’ साथ ही उन्होंने कहा था, राम मंदिर जरूर बनना चाहिए। यह मुद्दा कैंसर की दूसरी स्टेज की तरह है। राम मंदिर नहीं बना तो यह लाइलाज हो जाएगा। उन्होंने कहा था कि जहां हिंदुओं की आबादी कम है, वहां उनकी आवाज बंद हो जाती है। यह बात उन्होंने जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित जनसंख्या कानून रैली को संबोधित करते हुए कही थी।
Ab Hinduon ka sabr tut raha hai. Mujhe bhay hai ki Hinduon ka sabr tuta toh kya hoga: Union Minister Giriraj Singh on #RamTemple matter pic.twitter.com/XqWsuIk8lJ
— ANI (@ANI) October 29, 2018
सुप्रीम कोर्ट 30 सितंबर 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगा। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर बाबरी मस्जिद की विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था। 2010 के बहुमत वाले फैसले में हाइकोर्ट ने केस के तीनों पक्षों- रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में 2.77 एकड़ जमीन को बराबर बांटने का आदेश दिया था। इसी याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हिंदू महासभा तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने याचिका दायर की थी।