जरा हट के
106 साल की उम्र और जिंदगी से गजब प्यार, मौत को मात दे दीं ये ‘मर्दानी’ दादी

एक पुरानी कहावत है- उम्र चाहे जितनी हो जाए जज्बे बूढ़े नहीं होते और इसे सच कर दिखाया है कोलकाता से सटे न्यूबैरकपुर की निवासी 106 साल की नानिबाला दास ने। इतनी अधिक उम्र होने के बावजूद कूल्हे की हड्डी टूटने पर उन्होंने काफी हिम्मत से ऑपरेशन भी करवाया और अब स्वस्थ होकर घर लौट चुकी हैं। मतदाता पहचान पत्र पर नानिबाला दास की उम्र वैसे तो 102 साल है लेकिन उनके 62 वर्षीय बेटे वासुदेव दास ने बताया कि उनकी मां वास्तविक तौर पर 106 साल की हैं । इतनी उम्र होने के बावजूद वह चलने के लिए लाठी या किसी और चीज का सहारा नहीं लेतीं। 14 मई को वह बाथरूम जाते वक्त गिर गई थीं। उनके बाएं तरफ की फीमर टूट गई।
लगातार दर्द होने की वजह से जब एक्स-रे कराया गया तो कूल्हे में लगी हड्डी के टूटने की जानकारी मिली। चिकित्सकों ने ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ के पास ले जाने की सलाह दी। नानिबाला के सबसे छोटे बेटे बासुदेव ने बताया कि मां को कोलकाता के फोर्टिस हॉस्पिटल में ले जाया गया। पूरी जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा कि या तो घुटने का रीप्लेसमेंट किया जा सकता है या फिर उन्हें ट्रैक्शन पर रखा जा सकता है लेकिन इसमे लंबा वक्त लग सकता है, जिससे बेड सोर जैसी समस्या आ सकती है। परिवार वाले नहीं चाहते थे कि नानीबाला अधिक समय तक बेड पर पड़ी रहें इसलिए उनके ऑपरेशन का निर्णय लिया गया। डॉक्टरों के लिए भी यह आसान नहीं था लेकिन जब ऑर्थोपेडिक सर्जन अनिंदांसु बासु ने उनका चेकअप किया तो पता चला कि वह एकदम फिट थीं।
डॉ. बसु ने बताया कि सफल और सुरक्षित ऑपरेशन के लिए हमने छह ऐनिस्थीसिया कंसल्टेंट और मेडिसिन कंसल्टेंट डॉ. बासम विजय की टीम बनाई और वे सर्जरी के दौरान उनका चेकअप करते रहे।ऐनिस्थीसिया टीम के डॉ. संजय सिह ने बताया कि हमें तेजी और काफी सावधानी से ऑपरेशन करना था। इतनी उम्र की वृद्धा का ऑपरेशन सफल करना हमारे लिए एक चुनौती थी लेकिन मुश्किल नहीं था, यह टीम में शामिल सारे डॉक्टर जानते थे। इसलिए काफी सतर्कता और बिना चूक ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। सर्जरी के दौरान 16 मई को एक मेटल वॉल्व लगाया गया, जिसके जरिए उन्हें लगातार दवा और ऐनिस्थीसिया दी जा रही थी। काफी उम्र होने की वजह से हमें ऑपरेशन करने में भी डर लग रहा था लेकिन आश्चर्यजनक रूप से ऑपरेशन सफल रहा और वह स्वस्थ होकर घर लौट चुकी हैं।