बिहार में लोकसभा चुनाव में 17-17 सीटों की बराबरी पर भाजपा के साथ चुनाव लड़े जदयू ने केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में अन्य सहयोगी दलों की तरह एक-एक मंत्री की सांकेतिक साझेदारी का प्रस्ताव अमान्य कर दिया है।बिहार में भाजपा को 17 में 17 और जदयू को 17 में 16 सीटों पर जीत मिली है।
जदयू अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को नयी दिल्ली में कहा कि उनके दल को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में सांकेतिक साझेदारी करने की न कोई दिलचस्पी है और न इसकी कोई आवश्यकता है। जानकारों की मानें तो जदयू केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में तीन मंत्रियों की हिस्सेदारी की चाहत है। दो मंत्री बनाने पर साझेदारी करने को तैयार हो सकता है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बुलावे पर दिल्ली जाकर उनके आवास पर मिलने गये थे। सहयोगी दलों के एक-एक मंत्री की सांकेतिक साझेदारी देने की पेशकश पर नीतीश कुमार ने दलीय नेताओं की बैठक कर विमर्श किया था। बिहार में भाजपा-लोजपा की सत्ता में विधायकों के संख्या बल के आधार पर सत्ता में हिस्सेदारी दिये जाने के विपरीत केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में अन्य सहयोगी दलों की तरह जदयू को भी सांकेतिक साझेदारी देने की पेशकश जदयू को नागवार लगा।
जदयू की ओर से मुंगेर से जीते राजीव रंजन सिंह के अलावा कुशवाहा जाति के एक सांसद और अति पिछड़ी जाति के एक सांसद को भी केन्द्र में मंत्री बनाने की अपेक्षा थी। कुशवाहा जाति से काराकाट में उपेन्द्र कुशवाहा को हराने वाले महाबली सिंह या पूर्णिया में कांग्रेस उम्मीदवार उदय सिंह को दूसरी बार हराने वाले संतोष कुशवाहा को केन्द्रीय मंत्री बनाये जाने का कयास लग रहा था। अति पिछड़ी जाति से जहानाबाद या झंझारपुर से चुनाव जीते सांसद या राज्यसभा सदस्य राम नाथ ठाकुर को केन्द्र में राज्यमंत्री बनाये जाने की उम्मीद की जा रही थी।
जदयू को दो मंत्रियों का प्रतिनिधित्व मिलने पर ललन सिंह के अलावा राज्यसभा में जदयू के सांसद और महासचिव आरसीपी सिंह की भी उम्मीद लगी थी परंतु भाजपा की ओर से जदयू को भी सांकेतिक साझेदारी देने का फार्मूला अमान्य हो गया।
जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने नयी दिल्ली में मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत में सांकेतिक साझेदारी पर पार्टी का रुख साफ करते हुए कहा कि इसको लेकर जदयू को न कोई नाराजगी है और न इसको लेकर कोई दुख। सांकेतिक साझेदारी लेने में न पार्टी को दिलचस्पी है और न इसकी कोई आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि जदयू राजग का हिस्सा है। हम साथ चुनाव लड़े हैं। बिहार में भजापा के साथ सरकार चल रही है। कुमार ने खुलासा किया कि बुधवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से उनकी बातचीत के बाद उनकी पार्टी ने एकराय से सांकेतिक साझेदारी की पेशकश को अमान्य कर दिया। इसको लेकर पार्टी में कोई भ्रम भी नहीं है। हम भाजपा के साथ हैं और केन्द्र में राजग सरकार के समर्थक हैं। जदयू के सरकार में शामिल नहीं होने को लेकर कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। जानकारों की मानें तो भाजपा और जदयू के बीच संबंधों में भविष्य में तल्खी हो सकती है।
बिहार में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव में छह दलों के महागठबंधन का सूफड़ा भले ही साफ हो गया हो परंतु विधानसभा चुनाव में मुद्दे,जातीय समीकरण और स्थानीय कारणों से तस्वीर बदलने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। महागठबंधन लोकसभा चुनाव के नतीजे पर कह रहा है कि वह चुनाव हारा है हौसला समाप्त नहीं हुआ है। आगे लड़ाई जारी रहेगी।