नीतीश को रास नहीं आया BJP का फॉर्मूला, क्या फिर पकड़ेंगे अलग राह?
नई दिल्ली। 2019 के महाभारत में चुनाव को लेकर सीटों के बंटवारे पर एनडीए में सबसे ज्यादा पेंच फंसता नजर आ रहा है। बिहार में इन सीट बंटवारे को लेकर कई दिनों से वहां के एनडीए के घटकों में चर्चा बने हुई है लेकिन अभी तक किसी भी मास्टर प्लान पर सहमति नहीं बन सकी। भाजपा जहां 20-20 फॉर्मूले की बात कर रही है तो जेडीयू सम्मानजनक सीटों की बात कर रही है जो उसके लिए 17 से कम नहीं है।
रामविलास पासवान की एलजेपी भी सात से कम पर राजी होती नहीं दिख रही है तो आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा तो 20-20 फॉर्मूले को नकार चुके हैं। एक तो पेंच सीटों की संख्या को लकेर फंसा हुआ है और दूसरा अब ये इस बात को लेकर और उलझता दिख रहा है कि कौन सी पार्टी किस सीट से चुनाव लड़ेगी। बीजेपी-जेडीयू के अलावा एलजेपी में भी इसी बात को लेकर सबसे ज्यादा जद्दोजहद में है।
बंटवारे के साथ सीट पर भी हो फैसला
खबर है कि जेडीयू चाहती है कि सीटों की संख्या के साथ-साथ इस बात का भी फैसला हो कि कौन सी पार्टी किस सीट पर लड़ेगी। बस यहीं पर मामला फंस रहा है। बीजेपी और एलजेपी का कहना है कि 2014 में जिस पार्टी ने जो सीट जीती थी वो उसी पर चुनाव लड़े और इसमें कोई फेरदबल नहीं होना चाहिए।
जेडीयू के खाते में हारी हुई सीटें
बिहार की 40 सीटों में से 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 22 सीटों पर जीत दर्ज की थी, एलजेपी को 6 और आरएलएसपी को 2 सीटें मिली थीं। इस हिसाब से देखें तो 2014 में एनडीए 10 सीटें हारा था और वो सभी हारी हुई 10 सीटें अब जेडीयू के खाते में जाएंगी। इसके बाद बीजेपी कुछ और सीटों पर समझौता कर उन्हें जेडीयू को दे देगी। इसका मतलब ये कि जेडीयू के पास ज्यादातर वही सीटें होंगी जिन्हें एनडीए 2014 में मोदी लहर के बावजूद नहीं जीत पाई थी।लेकिन जेडीयू इससे सहमत नहीं है और चाहती है कि सीटों की अदला बदली भी हो। वहीं बीजेपी फिलहाल इस मसले पर बात नहीं करना चाहती है। करने के मूड में नहीं है।