कोविड संक्रमण के बाद हार्ट अटैक का जोखिम, डब्ल्यूएचओ की पूर्व चीफ साइंटिस्ट ने किया खुलासा

नई दिल्ली । हाल के दिनों में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों को कई लोग कोरोना वायरस और इसकी वैक्सीन के साइड इफेक्ट से जोड़कर देख रहे हैं। हालांकि अब इसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने बड़ी जानकारी दी है। उन्होंने साफ किया कि कोविड संक्रमण के बाद हार्ट अटैक का जोखिम वैक्सीन लेने के बाद के मुकाबले 4 से 5 फीसदी ज्यादा है। सौम्या स्वामीनाथन ने मीडिया से कहा कि यह अच्छी तरह से स्थापित है कि कोरोना वायरस संक्रमण के बाद दिल के दौरे, मधुमेह, स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। कोविड के बाद दिल का दौरा पड़ने का जोखिम टीकाकरण के बाद के मुकाबले 4 से 5 प्रितशत अधिक है। कोविड संक्रमण के बाद होने वाले हाई अटैक का अपने आप में एक मुख्य जोखिम कारक है। उल्लेखनीय हे कि डब्ल्यूएच और कई अन्य विशेषज्ञों ने बार-बार चेतावनी दी है कि कोविड संक्रमण दिल के दौरे, तंत्रिका तंत्र की विफलता सहित कई घातक बीमारियों का कारण हो सकता है। वहीं कोविड वैक्सीन लगवाने वाले को कोरोना वायरस संक्रमण का कितना खतरा है?

इस सवाल पर पूर्व डब्ल्यूएचओ अधिकारी ने कहा कि एक छोटा सा जोखिम यह है कि वायरस इस तरह से म्यूटेट हो जाएगा कि वैक्सीन से मिलने वाली इम्यूनिटी इसके खिलाफ बेअसर हो जाए, इसलिए इस पर लगातार निगरानी रखनी जरूरी है। इससे पहले ब्रिटेन के प्रसिद्ध रॉयल सोसाइटी ऑफ मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक शोध में दावा किया गया है कि लंबे समय तक कोविड से प्रभावित रहे 59 फीसदी मरीजों में शुरुआती लक्षण सामने आने के करीब एक साल बाद अंग खराब होने के मामले सामने आए हैं। इनमें वे मरीज भी शामिल हैं, जो पहली बार संक्रमित पाए जाने के बाद गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़े थे। इस शोध में ऐसे 536 लोगों को शामिल किया गया, जो लंबे समय तक कोविड से प्रभावित रहे और इस दौरान उन्हें सांस लेने में दिक्कत और स्वास्थ्य संबंधी अन्य दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। शोधकर्ताओं ने बताया कि इन 536 में से 331 मरीजों में पहली बार संक्रमण की पुष्टि होने के छह महीने बाद अंग के ठीक तरह से काम नहीं करने की जानकारी सामने आई। शोधकर्ताओं ने छह महीने बाद इन मरीजों पर 40 मिनट लंबा ‘मल्टी ऑर्गन एमआरआई स्कैन’ किया। इसके निष्कर्ष से इस बात की पुष्टि हुई कि लंबे समय तक कोविड से प्रभावित रहे 29 फीसदी मरीजों के कई अंग खराब हो गए, जबकि संक्रमित होने के करीब एक साल बाद 59 फीसदी मरीजों के एक अंग ने काम करना बंद कर दिया।

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