उमेश पाल किडनेपिंग केस में 17 साल बाद आएगा फैसला, ये है अतीक की पूरी क्राइम कुंडली

28 फरवरी 2006 को हुए उमेश पाल के अपहरण केस में गैंगस्टर अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के खिलाफ प्रयागराज की MP-MLA कोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगी। इस केस में दोनों पर जो धाराएं लगी हैं, उनमें से एक 364A भी है। इस धारा में दस साल कैद से लेकर फांसी की सजा का भी प्रावधान भी है।

पिछले महीने उमेश पाल का मर्डर हुआ था, जिसका आरोप भी अपहरण के आरोपी अतीक अहमद और उसके भाई पर है। सोमवार की शाम तक आरोपी माफिया अतीक अहमद को अहमदाबाद की साबरमती जेल से और उसके भाई अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाया जा चुका है।

दोनों को हाई सिक्योरिटी बैरक में नैनी सेंट्रल जेल में रखा गया है। फैसले के समय दोनों कोर्ट में मौजूद रहेंगे। लिहाजा कोर्ट में भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं।

कैसे हो सकती है फांसी की सजा?

उमेश पाल ने माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को सजा दिलाने के लिए 17 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। 28 मार्च को फैसले से ठीक 31 दिन पहले उमेश पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उमेश पाल इसी अपहरण केस की सुनवाई के बाद घर लौट रहे थे।

घर के पास दिनदहाड़े हुए इस सनसनीखेज हत्याकांड में भी अतीक अहमद का पूरा कुनबा नामजद है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडवोकेट शाश्वत आनंद ने बताया कि अपहरण करने वालों पर ही हत्या का भी आरोप लग गया है, ऐसे में दोष सिद्ध होता है तो धारा 364A में 10 साल कैद की सजा से फांसी की सजा का प्रावधान है।

ऐसे में कम से कम 10 साल का सश्रम कारावास या फांसी की सजा तक हो सकती है। सुनवाई के दौरान गवाह व वादी उमेश पाल की हत्या भी अधिकतम सजा की वजह बन सकती है। इस केस में जीवित रहते उमेश पाल ने अपनी गवाही पूरी कर ली थी।

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