रिजर्वेशन से एडमिशन मिलने पर सीनियर बोलते थे जातिसूचक शब्द, जूनियर डॉक्टर ने दे दी जान
मुंबई से आई ये खबर हैरान भी करती है और सोचने पर मजबूर भी करती है. घटना मुंबई के नायर अस्पताल की है. यहां एक महिला डॉक्टर ने सीनियर्स द्वारा बार-बार की जा रही रैगिंग से परेशान होकर बीते 22 मई को आत्महत्या कर ली.
23 साल की मृतका डॉक्टर पायल ताडवी के परिवार वालों का कहना है कि सीनियर पायल का मेंटल टॉर्चर इसलिए करती थीं क्योंकि वह पिछड़ी जाति से आती थी. दरअसल डॉक्टर पायल का एडमिशन आरक्षित कोटे से हुआ था. इसी बात का जिक्र कर पायल के सीनियर उन्हें प्रताड़ित करते थे. छात्रा के परिवार वालों ने इस बात की शिकायत हॉस्टल वार्डन से भी की थी. वॉर्डन ने तीनों सीनियरों को बुलाकर समझाया भी था कि इस तरह की मानसिक प्रताड़ना से बाज आएं लेकिन सीनियर माने नहीं.
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पायल के पिता सलीम ने कहा, “शुरू के छह महीने सही थे. सीनियर्स और जूनियर्स के बीच हल्की नोंकझोक चलती रहती है, लेकिन पायल ने कभी नहीं सोचा था कि उसे इतना प्रताड़ित किया जाएगा. 2018 में जब उसके साथ ये सब हुआ, तो उसने इस बारे में हमें बताया. इसके बाद हमने उसके पति डॉ सलमान से बात की. सलमान ने कहा कि ये सब होता रहता है और पायल को इसे नजरअंदाज करना चाहिए.”
खुदकुशी करने से पहले दिन में डॉ पायल तडवी ने दिन में सर्जरी की थी. उस वक्त डॉक्टर पायल किसी भी तरह के तनाव में नहीं दिख रही थीं. जब वे हॉस्पिटल से अपने कमरे पर लौटीं, 3 से 4 घंटे के बाद उनका शव बरामद किया गया. लेकिन सुसाइड करने से कुछ घंटे पहले पायल ने अपनी मां अबेदा से कहा था कि वह अपनी तीनों सीनियर की प्रताड़ना बर्दाश्त नहीं कर पा रही.
पुलिस ने इस मामले में पायल की सीनियर डॉक्टर्स डॉ. हेमा आहुजा, डॉ भक्ती अहिरे और डॉ. अंकिता खंडेलवाल पर केस दर्ज कर लिया है. छात्रा की मौत के बाद सभी आरोपी फरार चल रहे हैं. भागे हुए सभी आरोपी टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज के छात्र के रह चुके हैं जो बीवाईएल नायर हॉस्पिटल से सम्बन्धित है.