भोपाल। किसी जमाने में कांग्रेस की हर छोटी-बड़ी रैली में दिखाई देने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अब वहां दिखाई क्यों नहीं देते? अक्सर यह कहा जाता है कि मध्य प्रदेश में पार्टी नेताओं के पोस्टरों से भी उनकी तस्वीर गायब कर दी गई है। अब खुद दिग्विजय ने इससे पर्दा उठाया है।
Jisko ticket mile, chahe dushman ko mile, jitao. Aur mera kaam kewal ek, koi prachar nahi, koi bhashan nahi. Mere bhashan dene se toh Congress ke vote kat te hain, isliye main jata nahi: Digvijaya Singh, Congress, to party workers on election campaign in Bhopal. (13.10.18) pic.twitter.com/gvnZKJuYvk
— ANI (@ANI) October 15, 2018
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा है कि उनके भाषण से पार्टी के वोट कटते हैं। इसलिए वे किसी रैली में नहीं जाते। यह बयान देते हुए दिग्विजय का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। इसमें वे कहते हैं कि कांग्रेस की रैलियों से दूरी बनाने की यही वजह है, क्योंकि उस दौरान वे कुछ ऐसा कह जाते हैं कि बाद में पार्टी को नुकसान होता है।
वे मध्य प्रदेश के एक कांग्रेसी नेता के आवास पर आने के बाद बाहर निकले तो कार्यकर्ताओं से बातचीत करने लगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को मिलकर काम करने की नसीहत दी। दिग्विजय ने कहा कि मेरा काम सिर्फ एक है कि कोई प्रचार नहीं, कोई भाषण नहीं। उन्होंने बताया, मेरे भाषण देने से तो कांग्रेस के वोट कटते हैं, इसलिए मैं कहीं जाता ही नहीं।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय अब कांग्रेस नेताओं के कटआउट से भी गायब हो चुके हैं। इसे कुछ लोग कांग्रेस की गुटबाजी से जोड़कर देख रहे हैं तो कहीं यह चर्चा है कि पार्टी ने सोच-समझकर यह फैसला लिया है कि दिग्विजय को रैली और पोस्टरों में जगह न दी जाए, क्योंकि इससे पहले उसे कई जगह नुकसान उठाना पड़ा है।
इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने दिग्विजय के बयान पर चुटकी लेनी शुरू कर दी। भाजपा समर्थक कुछ यूजर्स ने दिग्विजय से अपील की है कि वे उसी तरह बयान देने शुरू करें जैसे वर्ष 2014 और उससे पहले दिया करते थे। बता दें कि दिग्विजय सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े आलोचकों में से एक हैं।
वर्ष 2013 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उन्हें भाजपा ने चुनाव अभियान की कमान सौंपी तो दिग्विजय ने उनके खिलाफ कई बयान दिए। उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए कुछ शब्दों पर लोगों ने सख्त ऐतराज भी जताया। उसके बाद दिग्विजय की खूब निंदा की गई और कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ा। अब कांग्रेस ने यह सबक सीख लिया कि दिग्गी की खामोशी में ही पार्टी की भलाई है।