FB वाले ज़ुकरबर्ग के खिलाफ लखनऊ में हुआ केस, क्या है ये मामला?
भारत के राष्ट्रीय प्रतीकों और संवैधानिक पदों के अपमान पर लखनऊ के वकील ओमकार द्विवेदी ने फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग समेत फेसबुक और सहयोगी एप्लिकेशन के संचालकों पर परिवाद दर्ज करवाया है. फेसबुक द्वारा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री इत्यादि संवैधानिक पदों के साथ-साथ भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक लाट के सस्ते दुरुपयोग और मनोरंजन के लिए झूठे मजाकिया इस्तेमाल के कारण परिवाद दायर किया गया है.
लखनऊ मुख्य दंडाधिकारी के न्यायालय (सीजेएम) में अधिवक्ता ओमकार ने परिवाद दाखिल किया जो स्वीकार कर लिया गया है. साथ ही बयान की तारीख भी मुकर्रर हो गई है. 12 नवंबर को बयान दर्ज करने के आदेश सीजेएम लखनऊ ने जारी किए हैं.
द्विवेदी ने बताया
“फेसबुक पर राष्ट्रपति द्वारा नौकरी के नाम पर अशोक की लाट वाले राज चिन्ह के मजाकिया पत्र जारी किए जा रहे थे, जो सरासर नेशनल एम्ब्लेम्स एवं नेम्स एक्ट 1950 का उल्लंघन है. साथ ही भारतीय राजचिन्ह की गरिमा के विरुद्ध है. इसी प्रकार राष्ट्रपति एवं राष्ट्रपति भवन के नमोलेख से उपहास वाली मजाकिया पोस्ट भी संवैधानिक पद के उपहास के साथ उक्त अधिनियम द्वारा प्रतिबंधित हैं.”
बता दें, अधिवक्ता ओमकार द्विवेदी ने लखनऊ विश्वविद्यालय से ही एलएलबी और डॉ शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ से एलएलएम किया है. वह वकालत के साथ साथ उच्चतर न्यायिक सेवा की परीक्षा भी दे रहे हैं.
ओमकार का कहना है कि एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते अपने देश और राष्ट्रीय प्रतीकों की गरिमा खंडित करने वाले अंतरराष्ट्रीय कंपनी फेसबुक को रोकने के लिए यह परिवाद दाखिल किया गया है. कानून से पोस्ट ग्रेजुएट होने के नाते राजचिन्ह के ऐसे दुरुपयोग को रोकने के लिए कानून का रास्ता अपनाया गया है.