नई दिल्ली: केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर मचे घमासान के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा है कि मुझे प्रार्थना करने का अधिकार है, लेकिन अपवित्र करने का अधिकार नहीं है। मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने इस फैसले पर रोक लगा दी और हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दे दी। इस फैसले का हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुआ और महिलाओं की एंट्री नहीं हो पाई।
अब इसी पर स्मृति ईरानी ने कहा है कि मुझे प्रार्थना करने का अधिकार है, लेकिन अपवित्र करने का अधिकार नहीं है। मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बात करने वाली कोई नहीं हूं क्योंकि मैं एक सेवारत कैबिनेट मिनिस्टर हूं। क्या आप मासिक धर्म के रक्त में सने सैनिटरी नैपकिन लेकर चलेंगे और दोस्त के घर जाएंगे? नहीं, तो आप उसे भगवान के घर में क्यों ले जाएंगे? यही फर्क है कि हमें इसे पहचानने तथा सम्मान करने की जरुरत है।
#WATCH Union Minister Smriti Irani says," I have right to pray,but no right to desecrate. I am nobody to speak on SC verdict as I'm a serving cabinet minster. Would you take sanitary napkins seeped in menstrual blood into a friend's home? No.Why take them into house of God?" pic.twitter.com/Fj1um4HGFk
— ANI (@ANI) October 23, 2018
स्मृति ईरानी का जब ये बयान सामने आया तो उन्होंने इसे गलत खबर यानी फेक न्यूज कहा और कहा कि वो जल्द ही अपना वीडियो पोस्ट करेंगी। हालांकि न्यूज एजेंसी ने उनके बयान का वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वो ऐसा बोल रही हैं।
Fake news …… calling you out on it. Will post my video soon. https://t.co/ZZzJ26KBXa
— Smriti Z Irani (@smritiirani) October 23, 2018
ब्रिटिश हाई कमीशन और आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित ‘यंग थिंकर्स’ कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, मैं हिंदू हूं और मैंने एक पारसी से शादी की। मैंने यह सुनिश्चित किया कि मेरे दोनों बच्चे पारसी धर्म को मानें, जो आतिश बेहराम जा सकते हैं।’ आतिश बेहराम पारसियों का प्रार्थना स्थल होता है। मंत्री ने कहा कि जब उनके बच्चे आतिश बेहराम के अंदर जाते थे तो उन्हें सड़क पर या कार में बैठना पड़ता था।
17 अक्टूबर को खुले सबरीमाला मंदिर के कपाट सोमवार रात बंद कर दिए गए। इस दौरान कई महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश के लिए प्रयास किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी अपने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर 13 नवंबर को सुनवाई करेगा।