महागठबंधन में राजद एक बार फिर बड़े भाई की भूमिका में.. आगे की बनी ये रणनिति
पटना । लम्बी खींचतान के बाद महागठबंधन में हुए लोकसभा की सीटों के बंटवारे से यह साफ हो गया है कि राजद एक बार फिर महागठबंधन में बड़े भाई की ही भूमिका में है जबकि राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस का वजूद क्षेत्रीय दलों के मुकाबले कम ही है।
शुक्रवार को सीटों और उम्मीदवारों की राजधानी पटना में हुई घोषणा से यह भी साफ़ है कि महागठबंधन में क्षेत्रीय दलों का बोलबाला है। उत्तरप्रदेश में सपा और बसपा से अलग कर दिए जाने के बाद कांग्रेस को अपने वजूद का एहसास हो गया और 11 सीटों पर अड़ी कांग्रेस को केवल नौ सीटों पर ही बिहार में संतोष करना पड़ा ।
हालांकि 11 सीटों पर चुनाव लड़ाने के लिए कांग्रेस के पास कद्दावर उम्मीदवार भी नहीं थे। उसकी इस कमजोरी को राजद पहले से ही मीडिया में उछालता रहा है जिसकी वजह से कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी का महागठबंधन में कद छोटा हो गया ।
राजद के अलावा महागठबंधन में रालोसपा , हम और वीआईपी जैसे क्षेत्रीय दलों की लोकसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे में अधिक सुनी गई । टिकट बंटवारे में ये सभी दल पिछड़े , यादवों , कुशवाहा, अतिपिछड़े और मुसलमानों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं ।
राजद ने एक बार फिर चुनावी समर में अपने यादव-मुस्लिम समीकरण पर भरोसा जताया जबकि हम , वीआईपी और रालोसपा भी पिछड़ा अति पिछड़ा के जरिये ही चुनावी नैया पार लगायेंगे ।
राजद ने अपने कुल घोषित 18 उम्मीदवारों में आठ यादव, तीन मुसलमान , तीन राजपूत, दो अनुसूचित जाति तथा एक अति पिछड़ा को स्थान दिया है । हम पार्टी ने दो अनुसूचित जाति और एक अति पिछड़ी जाति के उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि वीआईपी के तीन उम्मीदवारों में दो मल्लाह हैं।
कांग्रेस ने अपनी नौ सीटों में से केवल तीन पर ही उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है और शेष बची छह सीटों पर ब्राह्मण सवर्णों को भी मौक़ा दिए जाने की उम्मीद है। हालांकि कांग्रेस ने भी किशनगंज से मोहम्मद जावेद और कटिहार से तारिक अनवर समेत दो मुसलमानों को चुनाव मैदान में उतार रखा है।