नई दिल्ली : अयोध्या मामले में एक बार फिर सियायत गरमा गयी है. सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई टलने के बाद राम मंदिर के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर दबाव बढ़ता जा रहा है।संसद के शीतकालीन सत्र में आजाद भारत के सबसे बड़े विवादों में से एक अयोध्या विवाद के उछलने की जमीन तैयार होती दिख रही है। राज्यसभा में बीजेपी के सांसद राकेश सिन्हा ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्राइवेट मेंबर बिल लाने का ऐलान कर दिया है।
इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, लालू प्रसाद यादव, सीताराम येचुरी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती समेत कई अन्य नेताओं को चुनौती भी दी है कि वे अपना स्टैंड क्लियर करें। राकेश सिन्हा ने गुरुवार को इस सिलसिले में कई ट्वीट किए हैं। साफ है कि 2019 के चुनावी साल से ठीक पहले अयोध्या मुद्दा एक बार फिर संसद के साथ-साथ पब्लिक डिबेट का हिस्सा बनने जा रहा है।
Will @RahulGandhi @SitaramYechury @laluprasadrjd Mayawati ji support Private member bill on Ayodhya? They frequently ask the date ‘तारीख़ नही बताएँगे ‘ to @RSSorg @BJP4India ,now onus on them to answer
— Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) November 1, 2018
राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा, ‘यदि यह कहूं कि मैं राज्यसभा में राम मंदिर निर्माण के लिए प्राइवेट मेंबर बिल लाऊं तो उस पर कांग्रेस और वाम दलों का रुख क्या होगा? मैं पूछना चाहता हूं कि क्या वे प्राइवेट मेंबर बिल का समर्थन करने जा रहे हैं? मोहन भागवत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि या तो सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर की रोजाना सुनवाई करे और जल्द फैसला दे। सुप्रीम कोर्ट यदि ऐसा नहीं कर सकता तो सरकार को कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करना चाहिए।’
राकेश सिन्हा ने ट्वीट कर राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, लालू प्रसाद यादव और मायावती से पूछा है कि क्या वे राम मंदिर पर प्राइवेट मेंबर बिल का समर्थन करेंगे? सिन्हा ने सवाल किया कि विपक्ष के नेता राम मंदिर निर्माण की ‘तारीख नहीं बताएंगे’ के जरिए भाजपा और आरएसएस पर तंज कसते हैं लेकिन अब उन पर है कि वे अपना रुख साफ करें और जवाब दें।
अपने एक और ट्वीट में राकेश सिन्हा ने पूछा, ‘सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 377, जल्लीकट्टू और सबरीमाला पर फैसला देने में कितना समय लगा? लेकिन लगता है कि अयोध्या दशकों तक उसकी प्राथमिकता में नहीं है जबकि हिंदू समाज में राम मंदिर शीर्ष प्राथमिकता में है।’ सिन्हा के इस बयान के बाद कानून के रास्ते राम मंदिर निर्माण का मुद्दा जोर पकड़ सकता है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पहले ही कह चुके हैं कि सरकार को कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करना चाहिए।
बता दें कि गत 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले की सुनवाई जनवरी 2019 के लिए टाल दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर अगली सुनवाई जनवरी 2019 में एक उचित पीठ के समक्ष होगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 के अपने फैसले में विवादित स्थल को तीन भागों रामलला, निर्मोही अखाड़ा व मुस्लिम वादियों में बांटने का फैसला दिया था।