पाकिस्तान के बलूचिस्तान के बाद अब सिंध में भी स्वतंत्रता के लिए आंदोलन तेज़ हो गया है। सिंध प्रांत के सन्न शहर में हजारों प्रर्दशनकारी पाकिस्तान से आज़ादी की माँग करते हुए सड़कों पर उतरे। इस दौरान उनके हाथों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पोस्टर भी थे। ये रैली रविवार (जनवरी 17, 2021) को हुई। लोगों ने ‘आज़ादी-आज़ादी’ के नारे लगाए और पाकिस्तान से काट कर एक अलग स्वतंत्र राष्ट्र सिंधुदेश बनाने की माँग की।
उन लोगों ने अपने हाथों में कुछ अन्य वैश्विक नेताओं के पोस्टर्स भी ला रखे थे, जिन्हें वो लहरा रहे थे। इनमें जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बायडेन शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने इन वैश्विक नेताओं से माँग करते हुए कहा कि वो हस्तक्षेप कर के सिंधुदेश के गठन की वकालत करें। इन पोस्टरों पर लिखा था -‘सिंध, पाकिस्तान से आज़ादी चाहता है।’
Placards of PM Narendra Modi and other world leaders raised at pro-freedom rally in Sann town of Sindh in Pakistan, on 17th January.
Participants of the rally raised pro-freedom slogans and placards, seeking the intervention of world leaders in people's demand for Sindhudesh. pic.twitter.com/0FFmS7hiHe
— ANI (@ANI) January 18, 2021
ये पहली बार नहीं है, जब सिंधी लोगों ने आज़ादी की माँग की हो। वो वर्षों से इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं। जीएम सैयद को आधुनिक सिंध राष्ट्रवाद का जनक माना जाता है और इस रैली को उनकी ही 117वीं जयंती के मौके पर आयोजित किया गया गया। दिवंगत नेता के गृह क्षेत्र जमसोरो में इस विशाल रैली का आयोजन हुआ। जेई सिंध मुत्तहिदा महाज के अध्यक्ष शफी मुहम्मद बुरफात सहित कई नेताओं ने इसका नेतृत्व किया।
उन्होंने सिंधियों को अलग, बहुलवादी, सहिष्णु और सामंजस्यपूर्ण समाज बताते हुए कहा कि तमाम बर्बर हमलों के बीच सिंध ने अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर के रखा है। उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता को सिंध ने नई पहचान दी है। रैली में मौजूद लोगों ने सिंध को ‘सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक धर्मों का घर’ बताते हुए कहा कि पहले अंग्रेजों ने इस पर जबरन कब्ज़ा किया, फिर 1947 में पाकिस्तान के इस्लामी हाथों में पहुँचा दिया।
बुरफात ने आगे कहा, “उद्योग, दर्शन, समुद्री नेविगेशन, गणित और खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी सिंध ने भारत को अपना नाम दिया। आज पाकिस्तान के सिंध ने एक फासीवादी इस्लामी जंजीर में इस क्षेत्र व यहाँ के लोगों को बाँध कर रखा है। पाकिस्तान न सिर्फ यहाँ के संसाधनों का दोहन कर रहा है, बल्कि मानवाधिकार का भी लगातार उल्लंघन करने में लिप्त है। सिंध के कई संगठन आज़ादी के समर्थन में हैं और वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस माँग को उठाते रहे हैं।”
#WATCH: Placards of PM Narendra Modi & other world leaders raised at pro-freedom rally in Sann town of Sindh in Pakistan, on 17th Jan.
Participants of the rally raised pro-freedom slogans and placards, seeking the intervention of world leaders in people's demand for Sindhudesh. pic.twitter.com/FJIz3PmRVD
— ANI (@ANI) January 18, 2021
वो बोले कि सिंध के नागरिक अब उस पाकिस्तान का हिस्सा बन कर रहना ही नहीं चाहते, जो दमनकारी नीतियों पर चलता है। उन्होंने फासीवाद से मुक्ति दिलाने के लिए पूरी दुनिया के बड़े नेताओं से अपील की। जेई सिंध मुत्तहिदा महाज के अध्यक्ष ने कहा कि पाकिस्तान एक आतंकवादी और इस्लामी राज्य है। सैयद के साथ-साथ 1967 में पीर अली मोहम्मद रश्दी ने भी इस आंदोलन की शुरुआत की थी।
बता दें कि पाकिस्तान कई सालों से बलूचिस्तान और अपने जबरन कब्जे वाले कश्मीर में भी इसी तरह के प्रदर्शनों का सामना कर रहा है। पाकिस्तान में रहने वाले बलूचिस्तान के बलूच चीन के बढ़ते निवेश के कारण भी नाराज़ हैं। 2020 में कोरोना काल के मध्य ही चीन की एक कंपनी की नज़र बलूचिस्तान में सोने और ताम्बे के खदानों पर थी, जिसके बाद उसने खनन का ठेका भी ले लिया। 40 करोड़ टन सोने की खान को चीन को सौंप दिया गया।