कथा: जब शिवजी ने किया सूर्य पर प्रहार, जगत में फैला अंधकार
हमारे धार्मिक ग्रंथों में कई ऐसे रहस्य है, जिनसे हम लोग शायद ही अवगत होगें, हालांकि धार्मिक से संबंधित कई ऐसे सीरियल भी हम लोग रोज देखते होगें, और कई सारे पुराणों को भी हम लोगों ने पढ़ा होगा, पर आज हम उन्ही पुराणों में से ब्रह्मवैपुराण के अनुसार एक महत्वपूर्ण घटना की जानकारी देने वाले है, जिससे आप लोग शायद ही अवगत होगें।
दरअसल ब्रह्मवैपुराण के अनुसार भगवान शिव ने सूर्य पर अपने त्रिशूल से प्रहार किया था, जिस वजह से पूरे संसार में अंधकार फैल गया था, पर लोगों द्वारा सवाल यह उठ रहा है, कि आखिर सूर्य ने क्या गलती की थी, जिस वजह से शिव जी से उन्हे गुजरना पड़ा है। आपको बता दें कि शिव जी की हर एक लीला का कोई न कोई महत्व अवश्य होता है, जानकारी के लिये बता दें कि शिव जी जितने भोले है, उतने ही प्रलयंकारी रूद्र रूप धारण करने वाले है। उनके क्रोध से आज तक कोई नही बच पाया है, तो सूर्य कैसे बच पायें।
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार, एक बार शंकर भगवान ने माली और सुमाली के प्राण संकट में डालने वाले कश्यप नंदन सूर्य पर अत्यंत क्रोधित हो गये, उन्होंने अपने त्रिशूल से सात घोड़ो के रथ पर विराजमान सूर्य पर क्रोधित होकर प्रहार कर दिया था, महादेव के इस प्रहार से सूर्य देव रथ से गिर पड़े और अचेत हो गये, उनके साथ ही यह समस्त संसार अन्धकार में डूब गया। अपने पुत्र की ऐसी दुर्दशा देखकर कश्यप ऋषि ने उन्हें अपनी गोद में लिया और जोर जोर से रुंदन करने लगे,
तीनो लोकों में इस प्रसंग को देखकर हाहाकार मच गया,पुत्र मोह में ऋषि ने अपना संयम खो दिया और जगत की सबसे बड़ी शक्ति शिव जी को ही श्राप दे दिया।“उन्होंने कहा की जैसे वे आज अपने पुत्र की ऐसी हालत पर रो रहे है,एक दिन शिवजी को भी अपने पुत्र के रोना पड़ेगा”हालांकि देवी देवताओ की विनती पर जगत के उद्धार के लिए भगवान शिव ने फिर से सूर्य को जीवन दान दे दिया, ब्रह्मा जी, कश्यप ऋषि और शिवजी ने सूर्य देव को आशीर्वाद देकर अपने अपनी शरणागत जगह चले गये। तत्पश्चात माली और सुमाली ने अपने शरीर को निरोग और कष्टों से दूर करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जिसके पश्चात सूर्य ने प्रसन्न होकर उनके सभी कष्टों को दूर कर दिया।