ऊना दलित पीड़ितों ने राष्ट्रपति को पत्र लिख मांगी इच्छा मृत्यु, बताई ये बड़ी वजह

अपने परिवार की ओर से लिखते हुए वशराम सरवइया (28) ने लिखा है कि उस वक्त मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल द्वारा किए किसी भी वादे को गुजरात सरकार ने पूरा नहीं किया है। “उन्होंने कहा था कि हर एक पीड़ित को 5 एकड़ भूमि दी जाएगी, पीड़ितों को उनकी योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी दी जाएगी और मोटा सामढियाला को एक विकसित गांव में बदल दिया जाएगा। घटना हुए दो साल और चार महीने हो गए लेकिन सरकार ने अपना कोई भी वादा पूरा नहीं किया और न ही वादे पूरा करने की कोई कोशिश की।”
वशराम, उनके छोटे भाई, पिता और मां उन्हीं 8 दलितों में शामिल थे जिन्हें गौ रक्षकों ने गिर सोमनाथ जिले के ऊना तालुका के मोटा सामढियाला गांव में 11 जुलाई, 2016 को पीटा था। हमलावरों ने इस परिवार पर गौ हत्या करने का आरोप लगाया था। लेकिन बाद में पुलिस की जांच में पता चला कि वह मरे हुए जानवरों के शवों से चमड़ा निकालने का काम करते हैं। उनके साथ मारपीट की वीडियो पूरे देश में वायरल हो गई थी। जिसके बाद राज्य में दलितों ने विरोध प्रदर्शन भी किया। वशराम का कहना है कि ये उनका पैतृक व्यवसाय है।
वशराम ने लिखा है, “हम पशुओं की खाल बेचने का काम करते थे और उसे छोड़ने के बाद आजीविका के लिए कुछ नहीं बचा। यह संभव है कि भविष्य में हम भूख से मर जाएं। हम अपने मामले को बोलकर और लिखकर कई बार पेश कर चुके हैं लेकिन गुजरात सरकार ने हमारी किसी भी परेशानी की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।”
उनका कहना है कि उन्हें और बाकी पीड़ितों को बहुत दुख है कि सरकार ने दलितों के खिलाफ दर्ज 74 मामलों को वापस नहीं लिया। ये मामले घटना के बाद राज्य में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान दर्ज हुए थे। उन्होंने खत में लिखा है, “पुलिस ने आंदोलन के दौरान दलितों के खिलाफ कई झूठे मामले दायर किए थे।” 10वीं तक पढ़े लिखे वशराम का कहाना है कि वो और उनका परिवार अब अपना जीवन खत्म करना चाहते हैं। उन्हें सरकार की ओर से कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई है। गवाहों को कोर्ट तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए पुलिस ने कुछ नहीं किया और आरोपियों को भी बेल मिल गई।
उन्होंने खत में आगे लिखा है, “सरकार हमारी मांगों को पूरा करने में नाकाम रही है। हम बहुत दुखी हैं। हम अब आगे जीना नहीं चाहते इसलिए हम इच्छा मृत्यु की इजाजत मांग रहे हैं।”