अंतिम बार दिखा दो मेरा सुहाग, फिर तो ये चूड़ियां भी तोड़ दूंगी
शहीद रतन का पार्थिव शरीर आने वाला था. पति के इंतजार में राजनंदनी की निगाहें लगातार दरवाजे पर केंद्रित थी. उनसे मिलने जो आते थे तो पत्नी को लगता था कि पति ही कमरे में प्रवेश कर रहा है. उनसे मिलने आने वाले परिवार और बाहरी सदस्यों से वह लगातार कह रही थी कि मेरे पति को वापस ला दो.
पुलवामा हमले में शहीद हुए बिहार के भागलपुर निवासी रतन की पत्नी को यह पता था कि अब उनका सुहाग इस दुनिया में नहीं हैं. इसके बावजूद आम लोगों की तरह राजनंदनी अपने पति का एक झलक पाना चाहती थी. शहीद का पार्थिव शरीर सेना के जवानों के नेतृत्व में गांव लाया गया. लेकिन उनकी पत्नी को शव नहीं दिखाया गया. घर के बाहर शव की औपचारिकता निभाकर उसे रवाना कर दिया गया.
शव को घर से कहलगांव घाट ले जाने के बाद परिवार के लोगों ने पत्नी की चूड़ी तोडऩे की रस्म अदा करने के लिए महिलाओं को कहा. इसके लिए गर्भवती राजनंदनी को संभालकर दो महिलाओं के सहारे उसके कमरे से बाहर लाया गया.
लेकिन पति के अंतिम दर्शन किए बिना वह चूड़ी तोडऩे की रस्म करने से मनाही कर दी. तब उन्हें अंतिम दर्शन कराने के लिए सनोखर थाने की पुलिस गाड़ी से कहलगांव घाट लाया गया.