आज दोपहर करीब पौने तीन बडे इसरो के शक्तिशाली रॉकेट ‘बाहुबली’ पर सवार होकर चंद्रयान-2 अपने मिशन पर निकलेगा, जिसे देखने के लिए लोगों में खासा उत्साह है. अंतरकिक्ष में भारत के बड़े मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को लाइव देखने के लिए अब तक 7,134 लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया है.
चंद्रयान-2 मिशन के तीन हिस्से
चंद्रयान-2 मिशन के तीन हिस्से हैं. पहला हिस्से का नाम ऑर्बिटर, दूसरा लैंडर (विक्रम) और तीसरा रोवर (प्रज्ञान) हैं. इस प्रोजेक्ट की लागत 978-1000 करोड़ रुपए के बीच है. स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर ‘विक्रम’ और दो पेलोड रोवर ‘प्रज्ञान’ में हैं. इसरो का लक्ष्य चंद्रयान 2 रोवर को लूनर साउथ पोल पर उतारना है, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है. वैसा चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाले देशों में अमेरिका, रूस और चीन शामिल है.
लॉन्चर
जीएसएलवी एमके- III चंद्रयान 2 को इसकी निर्धारित कक्षा में ले जाएगा. यह भारत का तीन चरणों वाला अब तक का सबसे शक्तिशाली लांचर है और यह 4 टन के उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च करने में सक्षम है. इसके कंपोनेंट में S200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर, L110 लिक्विड स्टेज और C25 अपर स्टेज है.
ऑर्बिटर
लॉन्च के समय, चंद्रयान 2 ऑर्बिटर बयालू में भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) के अलावा विक्रम लैंडर के साथ कम्यूनिकेट करने में सक्षम होगा. ऑर्बिटर की मिशन लाईफ एक वर्ष है और इसे 100X100 किलोमीटर लंबी चंद्र ध्रुवीय कक्षा में रखा जाएगा. इसका वजन 23,79 किलोग्राम है और विद्युत उत्पादन क्षमता 1,000 वॉट है.
लैंडर — विक्रम
चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है. यह चन्द्रमा के एक पूरे दिन काम करने के लिए विकसित किया गया है, जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर है. विक्रम के पास बेंगलुरु के नज़दीक बयालू में आई डी एस एन के साथ-साथ ऑर्बिटर और रोवर के साथ कम्यूनिकेशन करने की क्षमता है. लैंडर को चंद्र सतह पर सफल लैंडिंग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसका वजन 1471 किलोग्राम है. और विद्युत उत्पादन क्षमता 650 वॉट है.
रोवर — प्रज्ञान
चंद्रयान 2 का रोवर, प्रज्ञान नाम का 6-पहिए वाला एक रोबोट वाहन है, जो संस्कृत में ‘ज्ञान’ शब्द से लिया गया है. यह 500 मीटर (½ आधा किलोमीटर) तक यात्रा कर सकता है और सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है. यह सिर्फ लैंडर के साथ कम्यूनिकेशन कर सकता है. इसका वजन 27 किलोग्राम है और विद्युत उत्पादन क्षमता 50 वॉट है.